my life

मैं हूं सीटू चौधरी
मेरा जन्म भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में कौशाम्बी जिले हिनौता गांव में हुआ
मेरा परिवार एक छोटा सा मिडिल क्लास फैमिली से विलोम करता है
पिताजी को जीवन में बड़े संघर्षों का सामना करना पड़ा होगा
मैंने कभी अपने पिताजी को  उड़ती हुई मिट्टी से निकलते हुए देखा है
मेरा जन्म सन् 1998/07/14 हिनौता
मेरे पिताजी का नाम श्री केशव लाल चौधरी
मेरी माता जी का नाम श्रीमती अनीता देवी
तीन भाई और दो बहनों के साथ हमारा पूरा परिवार सात लोगों का है 
मैं बचपन में बहुत ही शरारती था पूरा स्कूल और खासकर  मम्मी को मैं बहुत ही परेशान रहता था क्योंकि मैं उन दिनों अपने घर में सबसे छोटा और एकदम लाडला था
एक बार तो ऐसा हुआ मैं स्कूल गया हुआ था और स्कूल में मैंने पॉटी कर दी पूरा स्कूल मुझसे दूर भाग रहा था
बस एक मेरी मम्मी ही थी जो मेरे नजदीक खड़ी थी और मुझे बहुत तेजी से डांट भी लगा रही थी
मैंने पढ़ाई की शुरुआत लगभग 4 साल से शुरू कर दी
कक्षा दो तक में गांव में ही पड़ता रहा उसके बाद माहौल को देखते हुए मेरे पिताजी और मेरी माता जी ने मुझे इलाहाबाद मेरी मौसी के पास भेज दिया क्योंकि मौसी की 3 लड़कियां थी और वह तीनों ही इलाहाबाद के केंद्रीय विद्यालय में पढ़ती थी 
मेरा भी एडमिशन एक छोटे से स्कूल में करवाया गया ताकि मैं थोड़ा तेज हो जाऊं और उसके बाद मैं भी केंद्रीय विद्यालय में एडमिशन पा शकुन
उस छोटे से स्कूल में मैं बेहद ही पढ़ाई में तेज हो गया था और कुछ कईबो ग्रामों में भी मैंने उस स्कूल में हिस्सा लिया
मुझे एक नाटक करने का मौका मिला और उस नाटक का पुरस्कार मुझे एक पेन मिला था
जो पुरस्कार मुझे स्कूल की तरफ से दिया गया था वह पुरस्कार दीदी लेना चाहती थी परंतु उस लगाओ के वजह से मैं उस पर इनको नहीं देता हूं
ऐसा कोई भी दिन नहीं होता था ट्यूशन के वक्त मैं रोजाना मार खाता था
और मैं अपनी मौसा से बहुत डरता था
जब भी उनकी गाड़ी की आवाज सुनता था मैं तुरंत ही किताब और कॉपी लेकर बैठ जाता था
मैं सभी लोगों के साथ मिलजुल कर रहता था
मगर एक दिन अचानक मेरा पेट गड़बड़ हो गया और मैं दरवाजे की कुंडी नहीं खोल पाया और मैं दोबारा पॉटी कर दी
और 1 दिन नानी घूमने आई हुई थी और मैं उन्हीं के साथ ननिहाल चला गया
और ननिहाल से सीधा अपने गांव चला गया
गांव में मैं बहुत ही बिगड़ चुका था और पढ़ाई का बिल्कुल भी किया गया जो भी मैंने सब कुछ याद किया था वह सब कुछ खेल के चक्कर में मैं भूल गया
2007 आ चुका था और पिताजी इलाहाबाद के शिफ्ट हो गए थे वही हम लोग साथ में रहने लगे मेरा एडमिशन एसएस पब्लिक स्कूल में करवाया गया
कक्षा 1 से लेकर कक्षा तीन तक की शिक्षा मैंने एसएस पब्लिक स्कूल साकेत नगर से ली उसके बाद
राज देव पब्लिक स्कूल सुलेमसराय साकेत नगर से हमने पांचवी तकली
उसके बाद हमें वापस ही गांव आना पड़ा
मैं बहुत ही बिगड़ चुका था क्योंकि मेरी आदतें अब बच्चों जैसी नहीं रह गई थी
मैं इतना बिगड़ चुका था कि दूसरों के जेब से पैसे भी निकालना शुरू कर दिया था
और एक ना एक दिन तो पकड़ ही जाना था फिर एक दिन हम ₹500 की चोरी करके इलाहाबाद से दिल्ली के लिए रवाना हुए और फिर प्रतापगढ़ में हमें पकड़ लिया गया मैं और मेरा छोटा भाई दोनों ही जा रहे थे
फिर वहां से बड़े पापा के छोटे लड़के सुरेंद्र भैया हमें वहां से फिर इलाहाबाद ले आए
इस बार हमें डांट तो नहीं मिली परमार बहुत मिली
अब पिताजी को और तमाम लोगों को यह यकीन हो गया था कि यह लड़का अब एकदम ही बिगड़ चुका है
और गांव में भी मैं इतना बिगड़ गया था कि दूसरे के घर से चोरी करना भी स्टार्ट कर दिया था
धीरे-धीरे जैसे मैं आठवीं और नौवीं क्लास तक पहुंचा मेरे जीवन की रास्ते बिल्कुल ही अलग होते जा रहे थे और मैं इतना बिगड़ नहीं लगा था कि मेरी फैमिली भी परेशान होने लगी थी
फिर एक दिन मैंने डिसाइड किया अब मुझे गांव छोड़ना चाहिए

मैंने मुंबई का नाम बहुत सुना था फिर मैंने मुंबई की तरफ अपना रुख मोड़ा और लाइव स्कोर कैसे जिया जाता है
समझने की कोशिश की
इलाहाबाद से ठाणे जिला शहर कल्याण आई
यहीं पर मेरे बड़े मामा और एक छोटे मामा दोनों रहते थे मैं उन्हीं के साथ रहने लगा
एक जींस की शॉप पर लग गया
और धीरे-धीरे काम सीखना स्टार्ट कर दिया
परंतु जहां पर मैं काम सीख रहा था वहां पर सब कुछ सही था मगर जो बंदा मुझे काम सिखा रहा था वह बहुत ही चिल्लाता था और कभी-कभी तो गाली भी दे देता था मगर मुझे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था मैं तो काम सीखने के लिए आया था

2013 से 2016 आ चुका था 
और मुझे एक लड़की से प्यार हुआ मुझे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था के क्या मुझे भी प्यार हो सकता है
लेकिन धीरे-धरे सब कुछ समझने लगा और खुद को भी जानने लगा
मगर 2019 आते ही जिंदगी में ऐसी चीजों का सामना हुआ जो कभी मैंने सोचा तक नहीं था
मैं प्यार की दुनिया से बहुत दूर निकल आया और अपनी दुनिया से भी बहुत दूर क्योंकि मैं अपने घर में बहुत कम ही रूकता था और पिताजी और माता जी को यह बेहद चिंता बनी रहती थी कि लड़का अब सुधरने वाला नहीं है मगर मेरी जिंदगी में बहुत से उतार-चढ़ाव आए मगर मैंने खुद को इतना बेचैन कभी नहीं रखा जितना 2020 और 21 मैं मैंने खुद को बदलने की बहुत कोशिश की मगर यह बेचैनी और मेरे मन की संतुष्टि कभी नहीं पूरी हुई
अब मेरी उम्र 22 साल की हो गई थी और अब सबसे बड़ा सवाल मेरे जीवन में था मुझे क्या दिशा निर्धारित करनी है और क्या नहीं मुझे किस दिशा में चलना चाहिए और किस दिशा में नहीं
मैंने तथागत गौतम बुद्ध जी के धम्म को देखा और बड़ा ही आकर्षित रहा मैं खुद को यकीन ही नहीं मिला पाया इतनी सदियों तक उनकी उपदेशों का कार्य आज भी पूरी दुनिया पर विशाल कायम है तथागत गौतम बुद्ध जी के उद्देश्यों का औपचारिक में महत्व समझने के लिए मैंने बहुत ही प्रयास करना शुरू कर दिया तथागत गौतम बुद्ध भारत किस तरह से उन्होंने अपने धम्म का प्रचार किया
और डॉक्टर बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के बारे में भी बहुत कुछ जानने की कोशिश की और आज भी उनके बारे में जान ही रहा हूं
कैसी उन्होंने अपने जीवन में बड़े से बड़े संघर्षों का सामना किया और भारत की सर्वश्रेष्ठ किताब जिसे भारतीय संविधान कहा जाता है उन्होंने कैसे संपूर्ण किया
मेरा जीवन अभी भी बेचैन और उलझन उसे भरा हुआ था क्योंकि एक तरफ बहुत से लोग बड़ी बड़ी कामयाबी हो तक पहुंच गए थे और मैं अभी पीछे ही रह गया था
मगर तथागत गौतम बुद्ध जी के उद्देश्यों ने मुझे शांति और सुंदर व रहने का प्रयास सिखाया
जीवन में वही लोग आगे बढ़ते हैं
जो जीवन को उपदेशों के माध्यम से आगे बढ़ाते हैं

 

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